दीवार के इस पार इंसान हैंं, उस पार प्रकृति। इस पार शोर रहता है उस पार शान्ति। दीवार प्रकृति के पत्... दीवार के इस पार इंसान हैंं, उस पार प्रकृति। इस पार शोर रहता है उस पार शान्ति। ...
आज मैं भी कुछ कदम भरूँ, और आज जिऊँ तो खुल के जिऊँ ! आज मैं भी कुछ कदम भरूँ, और आज जिऊँ तो खुल के जिऊँ !
आज सदा के लिए अपनों में फिर से वापिस लौट आया था। आज सदा के लिए अपनों में फिर से वापिस लौट आया था।
नन्ही चिड़ियां दाना लेकर खिलाने वास्ते ढूंढ रही है इस डाल तो कभी उस डाल फुदक-फुदक नन्ही चिड़ियां दाना लेकर खिलाने वास्ते ढूंढ रही है इस डाल तो कभी उस डाल ...
और कोलाहल ? और कोलाहल ?
और फिर... और फिर...